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मोहब्बत की कहानी। (गज़ल)

  मोहब्बत की कहानी। ( गज़ल ) अगर तुम मेरी चाहत की साथी बन गयी होती मोहब्बत के सफर की तुम भी राही बन गयी होती अगर मुमताज़ बनकर तुमने मुझको पा लिया होता तो मैं भी प्यार में तेरे शहंशाह बन गया होता फिर मोहब्बत की इबारत नया इतिहास बन जाता तेरी चाहत की खातिर में नया एक ताज बन जाता जमाना फिर हमारी चाहतों को याद यूं   करता मोहब्बत की दुवाओं में यही फरियाद फिर करता कि मोहब्बत हो तो फिर ऐसे कि एक तारीख बन जाये मोहब्बत की कहानी में हमारा नाम फिर आये।

मोहब्बत का असर । ग़ज़ल

  मोहब्बत का असर   । ग़ज़ल   मिलेगी जब उनसे नज़र धीरे धीरे मोहब्बत का होगा असर धीरे धीरे अभी मस्त हैं वह ख्यालों की धुन में कभी इस चमन में कभी उस चमन में नशा छायेगा जब मोहब्बत का मेरी बिखर जायेंगी फिर ख्यालों में मेरे चली आयेंगी फिर इधर धीरे धीरे मोहब्बत का होगा असर धीरे धीरे मिलेगी जब उनसे नज़र धीरे धीरे l

इश्क़ का शुरूर। (ग़ज़ल)

इश्क़ का शुरूर। ग़ज़ल   मिले तुमसे बिछुड़ कर हम इस तरह तेरे इश्क़ का ये शुरूर है वो बात भी कुछ और थी ये बात भी कुछ और है जो तू नहीं तो कुछ नहीं तेरे इश्क़ का ये शुरूर है वो बात भी कुछ और थी ये बात भी कुछ और है तेरा इश्क़ मेरा नसीब है तेरा अक़्स है मेरा आईना मेरी हर नज़र में सिर्फ तुम तेरे इश्क़ का ये शुरूर है वो बात भी कुछ और थी ये बात भी कुछ और है तेरा हर क़दम है निगाह में मैं हूँ इस क़दर तेरी चाह में ये इश्क़ नहीं तो और क्या तेरे प्यार का ये शुरूर है वो बात भी कुछ और थी ये बात भी कुछ और है मिले तुमसे बिछुड़ कर हम इस तरह , तेरे इश्क़ का ये शुरूर है वो बात भी कुछ और थी ये बात भी कुछ और है l

मेरा भारत (कविता)

  मेरा भारत ( कविता )   प्यारे बच्चों सुनो तुम्हें एक बात बताने आया हूँ मैं भूली बिसरी बातों का एक राज बताने आया हूँ मैं भारत के वीरों का इतिहास बताने आया हूं l आज़ादी की कीमत को तुमको समझाने आया हूँ   मैं भारत के वीरों का इतिहास बताने आया हूं   जब जुल्म हदों से बढ़ता है मनमानी करने लगता है मानवता की भी बात भूलकर शोषण करने लगता है जब जलियां वाला बाग देख कर बच्चा - बच्चा रोता है और अंग्रेजों का जुल्म देख कर बापू भी रो देता है जब राजनीति में लालच और बेईमानी बढ़ने लगती है और जाति , धर्म और रिश्तों पर राजनीति होने लगती है तब अशफाक पैदा होते हैं तब बिस्मिल पैदा होते हैं तब भगत सिंह भी आते हैं फिर चंद्रशेखर आज़ाद भी आते हैं फिर मौलाना आज़ाद भी आते हैं फिर गाँधी , नेहरू आते हैं अंग्रेजों का जुल्म मिटाने को सारे के सारे आते हैं हिंदू , मुस्लिम , सिख सभी सारे के सारे आते हैं अंग्रेज फिर काँप उठे थे आज़ा