मोहब्बत की कहानी। (गज़ल)
अगर तुम मेरी चाहत की साथी बन गयी होती
मोहब्बत के सफर की तुम भी राही बन गयी होती
अगर मुमताज़ बनकर तुमने मुझको पा लिया होता
तो मैं भी प्यार में तेरे शहंशाह बन गया होता
फिर मोहब्बत की इबारत नया इतिहास बन जाता
तेरी चाहत की खातिर में नया एक ताज बन जाता
जमाना फिर हमारी चाहतों को याद यूं करता
मोहब्बत की दुवाओं में यही फरियाद फिर करता
कि मोहब्बत हो तो फिर ऐसे कि एक तारीख बन जाये
मोहब्बत की कहानी में हमारा नाम फिर आये।
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