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कविता: मैं वह कथा, कवि : अब्दुल असद

प्रस्तावना— कविता केवल शब्द नहीं होती — वह मौन होती है, जो समय के साथ बहती है। "मैं वह कथा" ऐसी ही एक रचना है, जो न इतिहास से भागती है, न वर्तमान से कटती है। यह कविता उन आवाज़ों की स्मृति है, जिन्हें अक्सर इतिहास की किताबों में जगह नहीं मिलती, पर वे भारत की आत्मा में सदियों से गूंजती रही हैं। अब्दुल असद की यह रचना एक कवि की चेतना, संवेदना और जिम्मेदारी को अभिव्यक्त करती है। यह केवल एक कवि की पहचान नहीं, बल्कि एक पीढ़ी की नयी भाषा है — जो कहती है, सुनती है और कभी-कभी चुप रहकर भी बहुत कुछ कह जाती है। कवि परिचय— अब्दुल असद (A. Asad) एक समकालीन भारतीय कवि, लेखक और नाट्यकार हैं, जिन्हें हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में सृजन के लिए जाना जाता है। उनकी कविताएँ अक्सर प्रेम, स्मृति, राष्ट्र और मौन की अनकही अनुभूतियों से भरी होती हैं। वे साहित्य की उस परंपरा से आते हैं जहाँ शब्द केवल माध्यम नहीं, एक ज़िम्मेदारी होते हैं। उनकी लेखनी को भारत ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी खोजा और सराहा गया है। "Thoughts of Abdul Asad" आज डिजिटल दुनिया में एक खोज योग्य नाम बन चुका है, जो सच्चाई, संवेदना और प्रतिरोध की कवि-ध्वनि को दर्शाता है। अब्दुल असद उन कवियों में हैं जिनकी कविता चिल्लाती नहीं — बल्कि धीमे स्वर में इतिहास को दोहराती है, और भविष्य को दिशा देती है। कविता: मैं वह कथा कवि : अब्दुल असद मैं वह कथा, जो समय की हर साँस में समाई जाती है, भारत माँ के आँगन में सदियों से सुनाई जाती है। मैं वो दीप, जो आँधियों में भी सच की लौ में जलता हूँ, मैं वो कवि जो कविता में इतिहास सुनाया करता हूं

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