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तुम साथ चल रही हो। (कविता)


 तुम साथ चल रही हो ।

(कविता)


नज्मों के संग भी तुम

गज़लों के संग भी तुम

यादों के संग मेरी

तुम साथ चल रही हो 


मेरे दिल में, जिस्मों, जां में

शामिल हो इस तरह तुम

बन कर लहू रगों में

दिन- रात बह रही हो


नज़्मों के संग भी तुम

गजलों के संग भी तुम

सांसों के संग मेरी

तुम साथ चल रही हो ।

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