अशफ़ाक़ का लहू यह पूछ रहा।
(कविता)
अशफ़ाक़ का लहू यह पूछ रहा
बिस्मिल का लहू यह पूछ रहा
गाँधी का भारत पूछ रहा
हर भारत वासी पूछ रहा
भारत माता पूछ रही हैं
देश के पहरेदारों से
कानून के इन रखवालों से
मेरे देश के भारी जनमत से
इस देश की प्यारी संसद से
इस देश की प्यारी संसद से
कि सत्ता के लालच की खातिर
क्या इतना नीचे जायेंगे
क्या इतना नीचे जायेंगे
कि बलात्कारीयों को
भी
अब ये संस्कारी बतलायेंगे
अब संस्कारी बतलायेंगे ?
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