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जो प्यार नहीं कर सकता है । (कविता)

 अशफ़ाक़ का लहू यह पूछ रहा

बिस्मिल का लहू यह पूछ रहा

संसद की मौन दीवारों से

भारत के पहरेदारों से

भारत के भाग्य विधाता से

और पूछें भारत माता से

ये कैसे तेरे बेटे हैं 

जो हर दम लड़ते रहते हैं

कश्मीर से कन्या कुमारी तक

सारे के सारे अपने हैं

जो इन सबको अपना मानें

वो ही हमारे अपने हैं

बस वो ही हमारे अपने हैं 

अशफ़ाक़ का लहू यह पूछ रहा

बिस्मिल का लहू यह पूछ रहा

महान देशभक़्त टीपू को

अब अत्याचारी बोला जाता है

और बलतकारियों को देखो

संस्कारी बोला जाता है

संस्कारी बोला जाता है

संविधान को मानने से

इनकार वही कर सकता है

मेरे भारत के लोगों को 

जो प्यार नहीं कर सकता है

जो प्यार नहीं कर सकता है। 

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