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जो प्यार नहीं कर सकता है । (कविता)




 अशफ़ाक़ का लहू यह बोल रहा

बिस्मिल का लहू यह बोल रहा

मौलाना आज़ाद यह बोले रहे

अंबेडकर जी भी बोल रहे हैं

गांधी जी देखो बोल रहे हैं

चाचा नेहरू बोल रहे हैं

कि संविधान को मानने से

इन्कार वही कर सकता है

मेरे भारत के लोगों को

जो प्यार नहीं कर सकता है

जो प्यार नहीं कर सकता है l

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