गुमनाम हूँ मगर मैं
पहचानती है दुनिया
हर बात मेरे दिल की
अब जानती है दुनिया
बसते हैं हम दिलों में
यह प्यार की कशिश है
सारा जहाँ है अपना
अखलाक़ की कशिश है
इस प्यार और मोहब्बत
की बात है निराली
पढ़ कर मेरी ग़ज़ल को
अब मानती है दुनिया
गूंजेगा जब फ़िज़ा में
यह प्यार का तराना
रखेगी याद दुनिया
नामों निशा हमारा
पढ़कर मेरी ग़ज़ल को
तुम याद मुझको रखना
गुमनाम हूँ मगर मैं
पहचानती है दुनिया
हर बात में हमारी
एक दर्द सा छिपा है
पढ़कर मेरी ग़ज़ल को
अब जानती है दुनिया ।
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