ग़ज़ल
मिले तुमसे बिछुड़ कर हम इस
तरह, तेरे इश्क़ का ये शुरूर है
वो बात भी कुछ और थी
ये बात भी कुछ और है
जो तू नहीं तो कुछ नहीं
तेरे इश्क़ का ये शुरूर है
वो बात भी कुछ और थी
ये बात भी कुछ और है
तेरा इश्क़ मेरा नसीब है
तेरा अक़्स है मेरा आईना
मेरी हर नज़र में सिर्फ तुम
तेरे इश्क़ का ये शुरूर है
वो बात भी कुछ और थी
ये बात भी कुछ और है
तेरा हर क़दम है निगाह में
मैं हूँ इस क़दर तेरी चाह में
ये इश्क़ नहीं तो और क्या
तेरे प्यार का ये शुरूर है
वो बात भी कुछ और थी
ये बात भी कुछ और है
मिले तुमसे बिछुड़ कर हम इस
तरह, तेरे इश्क़ का ये शुरूर है
वो बात भी कुछ और थी
ये बात भी कुछ और है l
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