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A Poem on A. Asad

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अशफ़ाक और बिस्मिल की जोड़ी — अब्दुल असद

प्रस्तावना "अशफ़ाक और बिस्मिल की जोड़ी" केवल दो नामों की गाथा नहीं, बल्कि दो आत्माओं की एक आग है जो मातृभूमि की रक्षा के लिए एक-साथ जले और अमर हुए। यह कविता एक वीर- गाथा है उन दो महान क्रांतिकारियों की, जिनकी दोस्ती, विचार और बलिदान आज भी हिंदुस्तान की मिट्टी में गूंजते हैं। यह रचना खासकर बच्चों और युवाओं के लिए है, ताकि वे जानें कि स्वतंत्रता यूँ ही नहीं मिली — उसके पीछे अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ और रामप्रसाद बिस्मिल जैसे शेरों का लहू बहा है। यह कविता सिर्फ अतीत की गाथा नहीं, बल्कि आने वाले भविष्य के लिए एक प्रेरणादायक दीपक है, जो तूफ़ानों में भी जलता रहेगा। कवि परिचय अब्दुल असद, समकालीन हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी साहित्य के एक संवेदनशील और मुखर स्वर हैं, जिनकी कविताएँ राष्ट्रप्रेम, समरसता और मानवीय मूल्यों की लौ जलाए रखती हैं। उनका लेखन शैली सादगी से भरा हुआ होने के बावजूद भी भावनाओं से ओतप्रोत होता है। ‘असद’ की रचनाओं में अतीत के वीरों की गूंज है, वर्तमान की चेतावनी है, और भविष्य ...

कविता : मैं वह कथा हूं , कवि: अब्दुल असद

कविता: मैं वह कथा, कवि : अब्दुल असद

प्रस्तावना— कविता केवल शब्द नहीं होती — वह मौन होती है, जो समय के साथ बहती है। "मैं वह कथा" ऐसी ही एक रचना है, जो न इतिहास से भागती है, न वर्तमान से कटती है। यह कविता उन आवाज़ों की स्मृति है, जिन्हें अक्सर इतिहास की किताबों में जगह नहीं मिलती, पर वे भारत की आत्मा में सदियों से गूंजती रही हैं। अब्दुल असद की यह रचना एक कवि की चेतना, संवेदना और जिम्मेदारी को अभिव्यक्त करती है। यह केवल एक कवि की पहचान नहीं, बल्कि एक पीढ़ी की नयी भाषा है — जो कहती है, सुनती है और कभी-कभी चुप रहकर भी बहुत कुछ कह जाती है। कवि परिचय— अब्दुल असद (A. Asad) एक समकालीन भारतीय कवि, लेखक और नाट्यकार हैं, जिन्हें हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में सृजन के लिए जाना जाता है। उनकी कविताएँ अक्सर प्रेम, स्मृति, राष्ट्र और मौन की अनकही अनुभूतियों से भरी होती हैं। वे साहित्य की उस परंपरा से आते हैं जहाँ शब्द केवल माध्यम नहीं, एक ज़िम्मेदारी होते हैं। उनकी लेखनी को भारत ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी खोजा और सराहा गया है। "Thoughts of Abdul Asad" आज डिजिटल दुनिया में एक खोज योग्य नाम ...

मैं भारत हूं। (कविता) , कवि - अब्दुल असद

कविता – "मैं भारत हूँ" कवि – अब्दुल असद कभी-कभी कविता केवल शब्दों का विन्यास नहीं होती, वह एक आत्मा की उद्घोषणा बन जाती है। "मैं भारत हूँ" ऐसी ही एक कविता है — जहाँ कवि स्वयं को राष्ट्र के रूप में अनुभव करता है, और फिर उसकी हर श्वास, हर भाव, हर शब्द… भारत की संपूर्ण चेतना बन जाता है। यह कविता एक रूपक (Metaphor) पर आधारित है — एक विस्तारित रूपक, जिसमें "मैं" कोई एक व्यक्ति नहीं, बल्कि हर वह नागरिक है जो देश से प्रेम करता है, देश के लिए जीता है, और उसमें स्वयं को पाता है। यह कविता बताती है कि भारत केवल एक भूखंड नहीं, बल्कि एक भावना है — जो हर सैनिक की वर्दी में, हर किसान की मिट्टी में, हर माँ की प्रार्थना में और हर बच्चे के स्वप्न में जीवित है। "मैं भारत हूँ" — यह कहना अपने अस्तित्व को मिटाकर किसी व्यापक पहचान में विलीन होना है। यह कविता हमें याद दिलाती है कि भारत हमारे बाहर नहीं, हमारे भीतर है। हमारी चेतना, हमारी भाषा, हमारे त्याग और हमारे स्वप्न — यही भारत है। यह कविता हर उस व्यक्ति की आवाज़ है, जो स्वयं को भारत से अलग नहीं समझता — क्यो...

“India is Great” — A Poem of A. Asad

When Jasmine Bloomed (A Ballad of Love and Loss) — by A. Asad

When Jasmine Bloomed (A Ballad of Love and Loss) — by A. Asad Introduction In the quiet corners of memory, some stories remain unfinished. “When Jasmine Bloomed” is a ballad of innocent love that bloomed during college days — Delicate, silent, and unforgettable. It’s the story of a love never confessed, a farewell never spoken, and the quiet pain of seeing the one you love belong to someone else. When Jasmine Bloomed — A Ballad by A. Asad When jasmine bloomed along the lane, She walked with books held tight, And every heartbeat spoke her name Then vanished out of sight. Her smile was soft, her voice was low, Like flutes in fading light. I followed where her shadows go, Yet never came to light. She laughed with friends beneath the trees, And sunlight kissed her hair. I watched her pass on winds and breeze— A dream too bright to bear. I never said the words I kept, Just carved them into air. While deep inside, my silence wept A song of sweet despair. She wore a dress...