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ये देश है हमारा । (कविता) भाग - 1

 

ये देश है हमारा । (कविता) भाग- 2

 

ये देश है हमारा। (कविता)

ये देश है हमारा।  (कविता) जब तक लहू रगों में और सांस चल रही है मेरे वतन की खुशबू सांसों में बस रही है हम बागबान वतन के कांटे हमारा बिस्तर  हमने लहू से सींचा तारीख़ कह रही है तारीख़ के वरक पर स्याही नहीं लहू है रोया है आसमां भी धरती ये कह रही है कितनों ने लाल खोए कितनों ने सहारे तब जा के पाई सरहद तब मिल सका किनारा जन्नत है ये हमारी हमने इसे निखारा ज़ख्मों के फूल दे कर हमने इसे संवारा  तुम आज फिर से बोलो जय-हिंद का ये नारा ये देश "असद" हमारा  हमें जान से है प्यारा ।  

ये देश है हमारा। (कविता)

 

हम सबका यह वतन है। (कविता)

 

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