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मन में तुम्हारे प्यार अब मैं घोल रहा हूँ l ग़ज़ल

 

 

मन में तुम्हारे प्यार अब मैं घोल रहा हूँ l

              ग़ज़ल

 

दिल से दिल के तार अब मैं जोड़ रहा हूँ

मन के तुम्हारे द्वार अब मैं खोल रहा हूँ

अँखियों से दिल की बात अब मैं बोल रहा हूँ

मन में तुम्हारे प्यार अब मैं घोल रहा हूँ

दिल से दिल का तार अब मैं जोड़ रहा हूँ

मन के तुम्हारे द्वार अब मैं खोल रहा हूँ

मन में तुम्हारे प्यार अब मैं घोल रहा हूँ l

दिल से दिल के तार अब मैं जोड़ रहा हूँ

मन के तुम्हारे द्वार अब मैं खोल रहा हूँ

तुम आज रुको दिल की मेरी बात तो सुनो

दिल के तुम्हारे तार अब मैं छेड़ रहा हूँ

अँखियों से दिल की बात अब मैं बोल रहा हूँ

मन में तुम्हारे प्यार अब मैं घोल रहा हूँ l

छाई है सावन की घटा साथ तुम चलो

रिमझिम सी है बरसात मेरे साथ तुम चलो

छाई मेरे दिल पर खुशी साथ तुम चलो

अँखियों से करो बात मगर साथ तुम चलो

मन के तुम्हारे द्वार अब मैं खोल रहा हूँ

दिल से दिल के तार अब मैं जोड़ रहा हूँ

अँखियों से दिल की बात अब मैं बोल रहा हूँ

मन में तुम्हारे प्यार अब मैं घोल रहा हूँ l

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